आज कोरोनावायरस से युद्ध लड़ते समय जब देश के तमाम पूंजीपतियों के प्रतिष्ठान बंद हो चुके हैं औद्योगिक इकाइयां बंद पड़ी है छोटे-मोटे लघु उद्योग एवं बाजारों पर भी पूरी तरह से प्रतिबंध है तब वही दूसरी ओर देश का किसान और मजदूर 24 घंटे कार्य करके पूरे देश में अनाज , सब्जियां, दूध और तेल पहुंचा कर लोगों को भूखो मरने से बचा रहा है|
देश का किसान और मजदूर बिना पैसे की चिंता किए और बिना कोरोनावायरस बाहर निकल कर खेतों में काम करके लगातार देश को भूख से युद्ध लड़ने में विजय दिला रहा है|
कल्पना कीजिए कि यदि किसान और खेतिहर मजदूर भी सभी देशवासियों की तरह घर में कोरोना से डर कर बैठ जाता तो शायद कोरोना अभी तक भी इतना प्रभाव नहीं छोड़ पाया जितना 22 मार्च से आज 3 मई तक भूख छोड़ गई होती
इस समय जब सभी लोग घरों के अंदर दुबके हुए हैं तो किसान और खेतिहर मजदूरों के हक में तत्काल सोचने का काम करना चाहिए| किसानों के बिजली के बिल भी कोरोना अवधि में पूर्णता माफ किया जाना अत्यंत जरूरी है| कारण इस समय किसान और खेतिहर मजदूर अपनी जिंदगी की चिंता किए बिना पूरे देश की सेवा कर रहा है| दूसरी बात किसानों के खेत में खड़े हुए गन्ने की फसल को तुरंत मिलो तक पहुंचाने के लिए व्यवस्था की जाए तथा मिल मालिकों या जिला/प्रशासनिक अधिकारियों को यह निर्देशित किया जाए कि वह किसानों के खेत में खड़े हुए आखरी गन्ने तक को मिलो में अविलंब पहुंचाने की जिम्मेदारी ले | मिल प्रबंधनको को अविलंब निर्देशित किया जाए कि किसानों के बकाया भुगतान को बिना किसी लाग लपेट और बिना किसी बहाने के तत्काल उनका बकाया उनके घरों पर पहुंचाने की व्यवस्था की जाए|
किसानों की इस समय गेहूं की फसल प्राकृतिक आपदा के चलते बर्बाद हो चुकी है तो इसके लिए देश को चलाने वाली व्यवस्था से मैं गंभीर रूप से कहना चाहता हूं की फसल के नुकसान का आकलन करके तत्काल किसानों को इस विपत्ति से बाहर निकालने का काम अविलंब करें|
इस वक्त किसानों की फसल सब्जियों के रूप में जो मार्केट में टाइम वे टाइम आ रही है जिसके कारण उसे उसकी फसल अथवा सब्जियों का उचित दाम नहीं मिल पा रहा है तो इसके विषय में भी सरकार को उनकी फसली सब्जियों का आकलन करके उचित मुआवजा किसान और खेतिहर मजदूरों को अविलंब दिलाने का कार्य करना चाहिए|
22 मार्च से लगातार कोरोना अवधि में देश का किसान और खेती मजदूर अपनी जान की परवाह किए बिना एक सेवक के रूप में पूरे देश के अंदर दाल, अनाज, गुड़, चीनी, सब्जियां और दूध निर्बाध रूप से पहुंचा कर संपूर्ण देशवासियों की एक सेवक के रूप में सेवा कर रहा है|
तब फिर यह व्यवस्था इतनी एहसान फरोश कैसे हो सकती है कि वह किसानों और खेतिहर मजदूरों के बकाए को तत्काल अदा ना करें और बिजली के बिल को पूर्णतया कोरोना आवधिक में माफ ना करें |
डॉ सुशील “समाजशास्त्री”