भगवान से भी बडा होता है माॅ का दर्जा- डा0 सुधीर गिरि



  • मदर्स डे“ की पूर्व संध्या पर वेंक्टेश्वरा में “आनलाईन कवि सम्मेलन“ माॅ तुझे प्रणाम का शानदार आयोजन


प्रभात गंगा संवाददाता


मेरठ। मातृ दिवस (मर्दस डे-10 मई) की पूर्व संध्या पर आज श्री वैंक्टेश्वरा विश्वविद्यालय में आनलाईन कवि सम्मेलन “माॅ तुझे प्रणाम“ का शानदार आयोजन हुआ, जिसमें स्थानीय कवियों के अलावा देश के कई जाने-माने कवियों/कवित्रियों ने आनलाईन प्रतिभाग कर  “भारत माॅ“ को नमन करते हुए जगत जननी धरा के प्रति अपनी कतज्ञता दिखाते हुए पूरे विश्व की मातृ शक्ति के प्रति अपनी असीम प्यार, संवेदनाओ, सम्मान को कविताओं के माध्यम से व्यक्त किया।
विश्वविद्यालय के टैगोर भवन में मातृ दिवस की पूर्व संध्या पर आयोजित कवि सम्मेलन “माॅ तुझे प्रणाम“ का विधिवत शुभारंभ विश्वविद्यालय के कुलाधिपति डा0 सुधीर गिरि एवं प्रतिकुलाधिपति डा0 राजीव त्यागी ने शारीरिक दूरी अपनाते हुए माॅ सरस्वती की प्रतिमा के सम्मुख दीप प्रज्जवलित करके किया।
“माॅ तुझे प्रणाम“ कवि सम्मेलन की अध्यक्षता एवं संचालन कर रहे देश के जाने-माने कवि एवं मुख्तक सम्राट डा0 दिनेश रघुवंशी ने माॅ की पीडा के साथ यूॅ कवि सम्मेलन का आगाज किया...
मेरी आखों का तारा ही मुझे आखे दिखाता है।
जिसे हर एक खुशी देदी, वो हर गम से मिलाता है। सुनाकर खूब तालिया बटोरी।
सब टी0वी0 के वाह-वाह फेम कवि पवन आगरी ने भारत माॅ को नमन करते हुए कहा
दिन पे दिन आबाद ये, जो मेरा घर होने लगा।
हो ना हो, माॅ की दुवाओं का असर होने लगा।


सुना कर वाह वाही बटोरी।
कवियत्री सपना सोनी (जयपुर) ने कहा कि .
तेरे आॅचल में सारे जग का सार है माता।
सभी वैभव, सभी खुशियों का तू ही आधार है माता। सुनाकर माँ का महिमा मण्डल किया।
कवि गोपाल (नारसन) ने भारत माॅ के लिए अपनी पंक्तियां कुछ यू व्यक्त की.......
अपना दिल, अपनी जान माॅ पर वार आये।
ये मातृभूमि का कर्ज था, इसे उतार आये।
डा0 यौगेन्द्र नाथ अरूण ने भी माॅ के लिए अपनी कविताओं की अभित्यक्ति से उनके प्रति अपने सम्मान को उजागर किया। इस अवसर पर कुलपति प्रो0 पी.के. भारती, कुल सचिव डा0 पीयूष पाण्डे, परिसर निदेशक डा0 राजेश पाठक, कुल सचिव डा0 एसपी पांण्डये, उपनिदेशक दूरस्थ शिक्षा डाॅ0 अल्का सिंह, अन्ना ब्राउन, डा0 गरिमा, डा0 सिमरन, उर्वशी सोम, डा0 स्मृति श्रीवास्तव,  अमरीश बैनीवाल व मीडिया प्रभारी विश्वास राणा उपस्थित रहें।