लूट की घटना को बनाया हादसा पीड़ित परेशान
 

January 1, 2020 


प्रभात गंगा संवाददाता


मेरठ। एसएसपी अजय साहनी के मेरठ जिले का चार्ज संभालने के बाद उनकी कार्यशैली को देखते हुए एक और जहां अपराधियों के हौसले इतने पस्त हुए हैं। कि इनामी बदमाश पुलिस के खौफ से खुद ही चल कर एसएसपी ऑफिस पहुंच कर खुद को जेल भेजने की गुहार लगाई थी जोकि अपने आप में एक मिसाल है। अपराधियों की कमर तोड़ने में लगातार सफलता प्राप्त कर रहे एसएसपी अजय साहनी महिला सुरक्षा को लेकर काफी कड़े कदम उठा चुके हैं वहीं कुछ थाना क्षेत्रों में पुलिसकर्मियों के कुछ ऐसे मामले भी सामने आते हैं जिन्हें जानने के बाद ऐसा महसूस होता है कि अपनी मनमानी चला रहे ऐसे पुलिसकर्मियों को ना तो एसएसपी अजय साहनी के आदेशों की कोई परवाह है और ना ही प्रदेश के मुखिया योगी आदित्यनाथ के बेटी बचाओ नारे की गूंज इन पुलिसकर्मियों के कान तक पहुंची है। अपनी मनमानी के चलते यह पुलिसकर्मी जिले के कप्तान की मेहनत को पलीता लगाते हुए नजर आते हैं। इतना ही नहीं अगर किसी महिला का कोई सिरफिरा मोबाइल लूट कर ले जाता है तो पुलिस एक्शन लेने के बजाय पीड़ित के थाने पहुंचने पर उससे अपने साथ हुई लूट के बजाय मोबाइल गुम होने के तहरीर लिखवा कर उसे थाने से चलता कर देती है जिससे लूट का शिकार हुआ पीड़ित खुद को ठगा सा महसूस करता है। क्योंकि तहरीर के अंदर उससे यह भी लिखवा लिया जाता है कि मोबाइल मुझसे गलती से कहीं गुम हो गया। जबकि पुलिस चाहे तो सिम ट्रेस कर मोबाइल छीनने वालों को पकड़ उनके खिलाफ कड़ी कानूनी कार्रवाई करें तो महिलाओं के साथ ऐसी वारदात करने वाले और भी अपराधियों के हौसले पस्त होंगे। हाल ही का एक ऐसा ही मामला मेडिकल थाने का संज्ञान में आया है जहां प्रवेश बिहार निवासी एक शिक्षिका जोकि पीवीएस के पास सामान लेने आई थी। अचानक फोन आने पर शिक्षिका ने साइड में खड़े होकर कॉल रिसीव ही की थी तभी सफेद स्कूटी पर सवार दो बदमाश झपट्टा मार मोबाइल लूटकर फरार हो गए। अपने साथ हुई घटना की शिकायत दर्ज कराने लूट का शिकार हुई शिक्षिका मेडिकल थाना पहुंची तो वहां बैठे मुंशी जी ने उसे वही सलाह दी कि मोबाइल कहां मिलता है लूट की जगह मोबाइल खोने की तहरीर देकर सिम बनवा लो काफी देर परेशान होने के बाद पीड़ित ने मजबूरी में मोबाइल गुम होने की तहरीर दी और अपना सिम बनवा लिया लेकिन इस पूरे घटनाक्रम को देखा जाए तो यह पुलिस का सहयोग है या जनता का उत्पीड़न अगर ऐसा ही मामला किसी पुलिसकर्मी या किसी नेता के परिवार की महिला के साथ होता तो क्या तब भी ऐसी ही तहरीर लिखवाई जाती क्योंकि करीब दो माह पहले ही एक नेता जी के घर की महिला का मोबाइल छीन गया था तो वह पुलिस द्वारा मात्र 24 घंटे में ही बरामद कर लिया गया था तो फिर आम जनता के लिए ऐसा सहयोग क्यों नहीं यह बात अपने आप में खुद एक सवाल खड़ा करती है।