ठंड से ठिठुर रहे लोग, कही नही है अलाव की व्यवस्था ओर बारिश ने बिगाड़ दी सोने की व्य्वस्था: रैन बसेरो में भी साफ़ सफाई नही                                
ठंड से ठिठुर रहे लोग, कही नही है अलाव की व्यवस्था ओर बारिश ने बिगाड़ दी सोने की व्य्वस्था: रैन बसेरो में भी साफ़ सफाई नही                                

December 12, 2019 • 


" alt="" aria-hidden="true" /> प्रभात गंगा समाचार                                                                                                           
 -मेरठ    सर्द हवाओं के कारण ठंड ने और भी जोर पकड़ लिया है। ठंड से ठिठुरते लोग इसके बचाव के लिए चाय की भट्ठी के पास सिमटे दिखाई पड़ रहे है। या इधर उधर पड़ी लकड़ी ,टायर व कागज को जला कर सर्दी से निजात पाने का जुगाड़ कर रहे है। जाड़े की सर्द रात और इससे निजात को एक अदद अलाव भी नहीं। दिसंबर माह  के 15 दिन पुरे होने को है लेकिन अब तक रैन बसेरो की सफाई न होना और कही भी  अलाव न जलना सुनने में अटपटा लगता है। लेकिन, प्रशासन की ओर से रैन बसेरो की सफाई और जलाए जाने वाले अलावों की यही हकीकत है। जबकि, प्रशासन की ओर से  सभी रेन बसेरो की सफाई और करीब  दो दर्जन स्थान पर  अलाव जलाने के लिए चुने गए हैं। कूड़ा जलाने पर पाबंदी के चलते अब जरूरतमंदों के पास ठिठुरने के अलावा कोई आसरा नहीं हैं। गुरूवार की शाम से ही यूरेशिया समाचार पात्र की टीम ने नगर के प्रमुख स्थानों रेन बसेरो और  अलाव की पड़ताल की अभी कही भी अलाव नजर नहीं आये  जबकि, बारिश के आसार और मौसम से ठण्ड के आसार ज्यादा हो रहे है   प्रस्तुत है राकेश शर्मा  के साथ छायाकार अक्षय की रिपोर्ट          बेघर और बाहर से आने वाले लोंगों को रात बिताने में परेशानी होती है जिसके  कारण  वो अलाव तापते है या रेन बसेरो में रुक जाते है   शहर में कड़ाके की सर्दी ने लोगों को ठंड का अहसास करा दिया है, लेकिन स्थानीय प्रशासन अभी तक नींद से नहीं जागा है। अब बात करते है रेन बसेरो की शहर के सभी रेन बसेरो का ठेकेदार राकेश गौड़ है जो की भाजपा से बह्रमपुरी  क्षेत्र के  मेरठ मंडल अध्यक्ष भी है सूत्रों का कहना है कि रैनबसेरों कि चौकीदारी  के लिए 12 चौकीदार रखे गए है लेकिन वहां सफाई होना तो दूर की बात है वहा शाम को महफ़िल जमनी शुरू हो जाती है सर्दी का असर धीरे-धीरे बढ़ता जा रहा है। लगभग 60 हजार से अधिक आबादी वाले शहर में रैन बसेरा के नाम पर छलावा हो रहा है। शहर में बनने वाले रैन बसेरा अभी तक धरातल पर नहीं दिख रहे हैं। इस सुविधा के न होने से रात गुजारने के लिए लोगों को बस स्टेण्ड की चौपाटी व सड़क किनारे यहां वहां रात गुजारनी पड़ती है।जिससे उनकी जान तक का ख़तरा बन सकता है।  आजादी के बाद सामान्य जनता के लिए शहर में एक रैन बसेरा न होना अपने आप में चिंता का विषय बना हुआ है। ठण्ड के इन दिनों में जब रात होती है तो लोग बस स्टेण्ड और दुकानों के बाहर यहां वहां फर्श  पर कंबल आदि बिछाकर रात काटते मिलेंगे। इस बात की शिकायत नगर आयुक्त और मेयर सुनीता वर्मा से की गई थी लेकिन कोई कार्यवाही नहीं हुई।